बीज रो बोवण

धरती ही धारण धर सके है

आपणा गरभ मायने

धरती धारण करे

समर्पण करे आपै आप ने

जद बीज अणंत वै सके

नितर बीज रो रोपण

धरियो रो धरियो रेई जावै

बीज, माय धरती रे

फूटे, उगे, फूले, फले

फेर अणंत बण जावै

बीज रो अणंत वेणो

धरती रे त्याग बिणा

कित्तर वैई सके

अर् बीज रो टूट'र विकसित वैणो

कुण हमझ सके

मिनख तो टूट' बिखर' जावै

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : किरण बाला 'किरन' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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