म्हैं बावड़ी में

छिण-छिण डूबतो जावूं

कोई म्हनै खींचै, झिझोड़ें

डील रै मांय फूटै अणछक

च्यानणै रो भूरो भभको

म्हैं आज तांई

खुद नै मांय सूं देख्यो नी

म्हैं सोचण लाग्यो

मिनख किण माथै

ऊभो हुवतो होसी

म्हनै दीसै

चिलकता मोटा-मोटा थांभा

सुरजी रै परकास जैड़ा

उणां माथै अेक मोटो डूंगर

डूंगर रै खोळै में अेक बावड़ी

बावड़ी तांई

अेडो-टेढो मारग

इण रै मांय सांप, मगरमछ

उकळतो पाणी

अेक अजीब दरसाव

साम्है आवै—

टूटै चिलकता थांभा

सांप अर मगरमछ फाड़ै

आपरा मूंडा

म्हैं घूजण लागूं

पकड़णो चावूं

चिलकता थांभा नै, डूंगर नै

वै बिखर नै पाणी में

रळमिळ ज्यावै

म्हैं आपोआप बावड़ी में

छिण-छिण डूबतो जावूं।

स्रोत
  • पोथी : पनजी मारू ,
  • सिरजक : गोरधनसिंह सेखावत ,
  • प्रकाशक : भँवर प्रकाशन