बालकां की ला'र-ला'र
चालर्या छै
वांकी दांई दड का
बस्ता
खोस गाल्यो यां नै
यां को बालपणो ।
आपणी आगली पीढ़ी
की नांई
न तो यांनै तीतर्यां पकड़ी,
न बनराई में दौड़ी दौड़
अर न खैली कुलाम लाकड़ी...
यां बस्तां नै
काट घाली
बालपणा की
नाळ।