खेतां में

ओढ्यां पीळौ पोमचौ!

सरस्यूं हरख मनावै।

मोरिया नाचै

अर

कोयलड़्यां गीत गावै।

मधरी-मधरी चालै

पुरवाई पून...

जद आवै

बसंत

म्हारै गांव।

बसंत...

थूं बसज्या नीं!

...बसज्या

म्हारै गांव।

स्रोत
  • सिरजक : दीनदयाल शर्मा ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी