अे बापु!

हवै हम्बार तारौ आदमी

खबर नती पड़ती कै

एटलो केम पोमाई रयो है

दुध नै पाणी पीवु सौड़ी ने

मनक नु लुई पीरयो है

ने गरीब ने विताड़ी रयो है

रामजी ने धेरै

समनी मएं तैल नती

पण सौमा काका नै

सुरानी वउ नै बारवा

घेरे डरम भरयो है

रामजी खांड लेवा जाए

तो झौरी खाली लावै

पण पेमा काका नौ सौरौ

बोरीयै नै बोरीयै लावै

खबर नती पड़ती

तारौ आदमी

अटलो कैम बदलाई ग्यो है ?

हवे जो तू

पासो जमी मातै आण्यौ

तो शारे मैर बम ना धमाका

ने लुई ना सांटा मलैंगा

तारो वैस्णवजन

रौज गरीब ने तारी रयो है

अेणनै परेवै पोतानौ लुई वदारी रयो है

पारकं घरं उजाड़ी

मुखीयो बणी बैठो है

नमायं ने नकुजीयं नौ धन खाई

आजे भाज गेड़ीयो बण्यो है

तारै आदमी अे

काम करवु सौड़ी दीदू है

लालोजी ने अगाड़ी पसाड़ी रई नै

पोताने पाणीदार वताडै हैं

लालोजी नो कुतरौ बणी

मूंकी रयो है

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री राजस्थानी कवितावां ,
  • सिरजक : सतीश आचार्य ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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