बापू

आपणै कांधै

उच लाया छा जै

आज़ादी को सूरज...

वूं पै

कांवळां की

काळी छांवळी पड़ी छै

यां दिनां।

स्रोत
  • पोथी : बापू-अेक कवि की चितार ,
  • सिरजक : ओम नागर ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन,जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण