ओ चार भुजा रो बिस्णू है,
ओ किसन बाँसरी वाळो है।
सिवजी तिरसूळ लिया ऊभो-
-है,नाग गळै में, काळो है॥
गज मसतक वाळो गजानंद,
दुरगा सिघाँ चढ चालै है।
बीणा वाळी सुरसत माता,
आ लिछमी फूल बिचाळै है॥
अै देव जिता तसबीराँ रा,
हूँ आँ सगळा नै जाणू हूँ।
भीताँ वाळा चितराम जिता-
-है, चोखी तरह पिछाणू हूँ॥
पण आ तसवीर बूढीये री,
मा कहती ही अै नेता है।
गाँधी बाबो है नाँवँ जका,
बाबा अै किस्या देवता है?
भोळोड़ो टाबर बूझै हो,
जाणण नै खड़्यो उमावै हो।
छोटो सो हात उठा ऊँचो,
मोटी तसबीर दिखावै हो॥
बाबो बोल्यो नेता कोनी,
ओ नेतावाँ रो बाबो हो।
बापू हो देस समूचै रो,
ओ थारो म्हारो बाबो हो॥
बाबो ओ मरद लुगाई रो,
छोटै मोटै रो एक जियाँ।
ओ जबरो देव जागतो हो,
धरती री खोली हत्कड़ियाँ॥
ओ संत लंगोटी वाळो हो,
चाल्यो बळतै अँगाराँ में।
जिण करम जोग रो महा मंत्र,
फूँक्यो खादी रै ताराँ में॥
ओ नेव रूप नारायण हो,
निबळाँ रो घणो सहारो हो।
धरती री आँख्यों रो तारो,
भारत माता रो प्यारो हो॥
ओ परम अहिंसक वैसण्व हो,
दुखियाँ रो करूणा सागर हो।
ओ राम राज रो रसियो हो,
रिसीयाँ रो नावँ उजागर हो॥
भूल्याँ भटक्याँ रो भोळा रो,
ओ नव जीवण निरमाता हो।
ऊँडा गरताँ में डूब्योड़ै,
भारत रो भाग विधाता हो॥
सदियाँ रो कळँक गुलामी रो,
बदनामी रा दरड़ा भरग्यो।
मुखड़ाँ री काळख मेटणियों,
झुकियोड़ा सिर ऊँचा करग्यो॥
इण तोड़्यो तोख गळै रो जद,
जणनी रा आँसूड़ा थमग्या,
भरिये भारत रै मिनखाँ रा,
आँ चरण पर माथा नमग्या॥
उजळपो मिनख जमारै रो,
ओ धरम करम रो थम्भो हो।
सत सेवा रो साकार रूप,
धरती रो एक अचम्भो हो॥
आ भोम भारती धन धन है,
बा जणनी न्याल हुई जायो।
समरथ सूरो तपसी त्यागी,
बैरागी धरती पर आयो॥
ओ राम दूसरो दुनियाँ रो,
मरजादा नींव जमावण नै।
पारथ रो सारथ आयो है,
भारत में सँख बजावण नै॥
गोतम री करूणा भर्यो हिंयो,
संकर रो तेज लियाँ आयो।
अणडिग विसवास मुहम्मद सो,
ईसा रो प्रेम पियाँ आयो॥
आयो अहड़ो गाँधी बाबो,
भोळा रा भरम भगा दीना।
जुग-जुग रा सोया भारत रै,
भीवाँ नै भळै जगा दीना॥
आजादी री बाती बाळी,
बच्चो-बच्चो परवानो हो।
इण जबरोड़ै जादूगर रै,
बोलाँ पर देस दिवानो हो॥
लाखीणा मिनख अड़्या अहड़ा,
खाली हाताँ गोळ्याँ खायी।
किरचाँ री तीखी नोकाँ पर,
मतवाळी छात्याँ टक्करायी॥
ओ बिना ताज रो महाराज,
समराट मुलक मन भावाँणियो,-।
ओ मरतगाळ मानवता रो,-
-इमरत, मुरधर रो सावँणियों॥
ओ प्राणा प्यारो अणगण रो,
जिण दिन धरती नै छोड चल्यो।
उण दिन अन्धारी रात रळी,
माटी में भारत भाग भिल्यो॥
‘हे राम’ कयो जद गगन डिग्यो,
आ धरा डिगी काया डिग गी।
औ बाप डिग्यो हो मुलकतणो,
दुबलाँ दुखियाँ री माँ डिग गी॥
उण दिन रूळती गमती दीखी,
मीठोड़ी आसा कितराँ री।
उण दिन दिवलाँ री जोत गयी,
भारत माता रै मिंदराँ री॥
मानवता सिसकी धरम डिग्यो,
हिंवड़ा में धधक उठी होळी।
गोळी नयीं लागी गाँधी रै,
हिंदवाणै रै लागी गोळी॥
उण दिन रोवै हो जड़ चेतन,
इण धरती रो कण कण रोयो।
भारत रो गगन जितो गोरव,
जद राजघाट पर जा सोयो॥
सोयो ओ मींत मानखै रो,
कँकाळाँ री करूणा सोयी।
ओ सत रो सूरज डूब्यो हो,
आ जोत बुझी जगती रोयी॥
ओ प्राण गयो परमेसर रो,
सुणताँ गुणताँ री सांस रुकी।
इण मिनख लँगोटी वाळै नै,
आखी धरती री धजा झुकी॥
आ गोळी प्रेम पुजारी रै,
आ ईसा नै लागी गोळी।
आ गोळी सत्त अहिंसा रै,
आ गोतम नै खागी गोळी॥
आ गोळी हिन्दू मोमिन रै,
हिन्दालै री धरती दागी।
आ गोळी करम जोग पर ही,
आ कान कुँवर नै जा लागी॥
पण आ गोळी काया लागी,
लागी माटी री माया नै।
गाँधी तो अजरो अमरो है,
कुँण मेट सकै उण छाया नै॥
गाँधी तो घट-घट बासी है,
रमग्यो जन-जन रै जीवण में।
ओ बापू तो ब्रिजराज जीयाँ,
बिखर्यो दुनियाँ रै कण-कण में॥
गाँधी तो तेज तपस्वी रो,
ओ मिटै नयीं हथियाराँ स्यूँ।
है रोम-रोम में राम रूप,
ओ मरै नयीं हित्याराँ स्यूँ॥
ओ बीज नाख रमग्यो बाबो,
धन बरसैला ऊँचा आसी।
दुनियाँ गाँधी नै समझैली,
आ धरा सरग ज्यूँ बण ज्यासी॥
तूँ भोळाँ टाबरियो छोटो,
जद मोटो होसी भाव भर्यो॥
समझैलो गाँधी बाबै नै,
ओ कियाँ जियो, ओ कियाँ मर्यां॥
दुनियाँ रो जीवण राखण में,
इण रो जीवण बलिदान हुयो।
श्रधा स्यूँ सीस झुकै जिण दिन,
उण दिन तूँ जाणी ज्ञान हुयो॥