च्यारूं मेर उतावळी, भाग-दौड़ बेथाल।
मिनखां रो यो रामजी, कांई व्हेगो हाल॥
धन-बुखार चढ़ियो खरो, ईं रो अंत न आद।
पेटभर् या ईं जनम ने, क्यूं करर्या बरबाद॥
उजळा चोळा धारियां, अन्तस काळो ठेठ।
संस्कृति री चरचा करै, पी दारू भरपेट॥
दीमक खागी देस नै, जात-पांत री ढेर।
सुळबा पेलां सोचलो, नींतर घणो अंधेर॥
डूंगर सगळा उजड़गा, गटर बणीं नदियांह।
धूळ-धुंवाड़ा सूं भर्यो, ‘राज-मार्ग’ कहियांह॥
मिनख गजब रा स्वारथी, लूटपाट-उस्ताद।
खींचै भाग गरीब रो, छोड़ नीत-मरजाद॥
दया धरम कूंए पड़्या, चूल्हा में ग्यो त्याग।
हंस तिसाया बापड़ा, अमरित पीवै काग॥
गायां ने कटबा खिनां, गंडक पाळे लोग।
गोद लियां रमता फरे, के फैशन रो रोग॥
तानसेन बेजू गया, ग्यो उण रो संगीत।
पोप-रैप लारै लगी, माइकल जेक्सन प्रीत॥
टीवी री टीबी लगी, घर में घुसियो रोग।
उठतां सूतां जागतां, भोग, भोग बस भोग॥
मिलबा-जुलबा छूटगा, बिसर्या नेह-सलाम।
घर, घरवाळी, टाबरां’र टीवी चारूं धाम॥
‘हलो डेड, मम्मा हलो’ – बाप कहे शाबास।
गुड मोरनिंग, टाटा तळे, व्हेगो सत्यानास॥