बगत रो रथ

नीं रुकै नीं थमै

चालतो रैवै

रुकै बगत री बातां

सालूं-साल

सदियां लग

बण जावै

इतियास रै पानां मांय

अेक बानगी

जिकी बांची जावै

आवणवाळी

पीढियां रै बिचाळै

चावै आछी

चावै माड़ी

सुणनी तो पड़ै ई।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : देवकरण जोशी 'दीपक' ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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