हाथाँ सूँ फैंक्यो अंगीरो
ओराँ नं बाळतो
खुद भी दाझज्या छै!
ईरस्या को नाग पाळै
दूसरों के कारणै तो
फुफकाराँ सूं प्राणां मै भी
जहर फैलाज्या छै ऊ-
अरे, पण
मनख छै नासमझ कतरो
के दूसरों की राख पै
आपणा महल बणाबा का
सपना
लिया ईं ज्या छै
देख्याँ ईं ज्या छै॥