आम आदमी खातर
हर छिण आप ताई सिकरावणौ
जीवण विराज है
वो आपरी ही उधेड़ ने सींवे
हर औसर ने आपर मारफत
दूजां तांई सिकरावणो
वधतौ बिणज है
जिको जुग-जांमी ही जीवै
पण कवि पूरै जीवण ने
पूरण खातर सिकरावै, औ
बाधौ बिराज है
पाखरां री अमरता हो पीवै।