विधना रो परताप बडेरा।

हेत करे अणमाप बडेरा॥

चारूं मेर अंधारे बीच में।

दीवटिये रो ताप बडेरा॥

पोता पोती घणा अड्थड़े।

सोतां केवै बात बडेरा॥

चोखे माड़े बखत मायनें।

माथे राखे हाथ बडेरा॥

तीन पांच करतां ही देखो।

मुंडे मेले थाप बडेरा॥

जाणे जूनी जूनी बातां।

गूगल रा भी बाप बडेरा॥

स्रोत
  • पोथी : साहित्य बीकानेर ,
  • सिरजक : बजरंग सिंह चारण ,
  • संपादक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : महाप्राण प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम