भोत प्रेम हो म्हनैं थारै सूं

म्हारै हिवड़ै नित फूटती ही

प्रेम कवितावां री कूंपला

म्हूं आधी-आधी रात ताईं जाग‘र मांडतो हो

प्रेम पत्रां मांय मन री बातां

पण म्हूं कद नीं बूझ सक्यो थारै सूं-

विल यू मैरी मी?

क्यूं?

क्यूंकै आपणै बिचालै ही

जात री कंटीली बाड़।

स्रोत
  • सिरजक : बी एल पारस ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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