माणस चल्या जावै

पण बातां रह जावै

सुणनियां चावै ना सुणै

पण,

कैवणियां तो कै'जावै

थोड़ो बोलै, अर

बोळो सुणै

बो’ई गुणीजै

थोड़ो बोलण आळो

बोळो सुणीजै

स्याणा माणस काढै

बात रो नीतार

बै आगै जद्ई बौले

दिखै बांनै कीं सार।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक (तीजो सप्तक) ,
  • सिरजक : सतीश गोल्याण ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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