कोई कैयग्यो, कोई सैयग्यो
पण कोई बातां बोलतो-बोलतो रैयग्यो!
इण लुक-मिचणी रै खेल मांय
हरेक अधकिचरी बात साथै
जाणै कितरा दुख-दरद आपरै साथ लेयग्यो...
कोई समझग्यो, कोई अमूझणी लेयग्यो!
कोई तूफान रो रोळो सुण’र ई
बिनां बिरखा रै ई बैयग्यो..
फेर ई कोनी हो सकी बात पूरी
रैयगी, का छूटगी जिकी बातां
कदैई तो समझ जास्यां
आ सोच काटां रातां।