खरो होणै खातर

गंगा में सूअर डुबकी लगावै

गंगा रै पाणी सामै बाबो ध्यान लगावै

अेक-अेक पोइंट रो दे आंटो

अंटी ढीली करावै।

पतळी-मोटी लाम्बी चोटीआळा

बाबोजी

सरग-नरक बिचाळै बैठ्या

गंगा रो ध्यान धरै

जै आज्या भूल्यो-भटक्यो भोळो-ढाळो

धाप्योड़ो

आपरो धरण जाण खाल उतारै

हाथ नीं लगावै

जलम रो पाप हरै

सरग में पूगणै री बिधि बतावै।

इण जग में भांत-भांत रा मिनख

भाण्ड बणै

न्यारा-न्यारा स्वांग करै।

जात-धरम रो आंटो देय

लाम्बो तिलक लगार

बाबो मांग करै

गंगा में डूबै गिन्नाणी में पड़ै

तिरतां-डूबतां निसरतां

टका-पईसां री मांग करैं

थे’ई जाणल्यो

धरमी री जड़ां किण बिद बधै?

स्रोत
  • पोथी : जोत अर उजास ,
  • सिरजक : रतन ‘राहगीर’ ,
  • प्रकाशक : युवा सिंधी विकास समिति
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