म्हारै जळम रो साखी

साळ रो जूनो सैंथीर.!

चालतां गुडाळियां

सिखायो खड़ो होवणो

बारणै री चौघट।

ठण्डी तासीर-पळींडो

हथाई करतो आंगण

घर होवणै रो परमाण

कांगसी जोडयां छात.!

देखतां देखतां

आंख मींच

जाड़ भींच

अेक अेक कर

आयग्या काम

सरकारू म्होर रै फरमान.!

स्रोत
  • पोथी : चाल भतूळिया रेत रमां ,
  • सिरजक : राजूराम बिजारणियां ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन,जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण