1

आपनै कदी
मीठा तेल को दियो बळती बेरां
बाती की चरड़-चरड़ सुणी छै
बस अतनो सो ई छै
जीवता रहबा को सीसाड़ो।

2

आपनै कदी
सूंघी छै लीमड़ी का फूलां की
छणीकसी गंध
बस अतनो सो ई छै
सत की काया को दरसाव।

3

आपनै कदी
चालती रेल मं सूं पाछै भागता रूंखड़ा देख्या छै
जाणै गांवड़ौ
स्कूल सूं बस्तो लेय’र भागतौ जा रह्यौ होवै
अर माथो हला-हला’र कह रह्यो होवै 
म्हां तो नं पढां! म्हां तो नं पढां!! म्हां तो नं पढां!!!

स्रोत
  • पोथी : जातरा अर पड़ाव ,
  • सिरजक : अम्बिका दत्त ,
  • संपादक : नंद भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम