गणतन्त्र रो चौबीस साल रो छक जुवान
कवै है—‘हूं आसमान रा तारा तोड़ द्यूं,
जमीन पर पग मारूं तो,
पाताल फोड़ द्यूं
गंगा नै मोड़ द्यूं
धरती नै आकाश स्यूं
आकाश नै धरती स्यूँ जोड़ द्यूं।
और तो कीं होवै न होवै, मां,
तू मान ले, हूं तेरो सिर फोड़ द्यूं।