बडेरा कैवता हा

अणथंभियौ आकास ऊभौ है

सुवाल उपजै

कै

चारूं दिसावां

उतराद-दिखणाद

ऊगूणौ-आथूणौ

फेरूं चारूं कूणा

इसान-वायव्य

नैऋत्य-आग्नेय

किणनै स्यारो दिरावै?

जमानै री ज्यामिति

खूणा-खंचूंणा

कोण, तिरभुज

चतुरभुज बणावै

पण किण वास्तै?

पडूत्तर दिरावौ सा....!

अणथंभियै आकास रौ

आज रै जुग में

म्यानौ बतावौ सा....!

स्रोत
  • पोथी : अपरंच राजस्थानी भासा अर साहित्य री तिमाही ,
  • सिरजक : शिवराज छंगाणी ,
  • संपादक : गौतम अरोड़ा