थे

अेक अभियान मांय

रूंख लगायो

दूजै मांय सींच्चो

अर

तीजै अभियान मांय

काट बगायो।

ठीक है

थे मालक हा रूंख रा!

पण उथळो तो देवणो पड़सी

कै जिकी रूंख नै जाम्यो

पानका निकळण सूं लेय’र

काटण तांईं मून ही

बा धरती

उण रूंख री कुण ही?

स्रोत
  • पोथी : जातरा अर पड़ाव ,
  • सिरजक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • संपादक : नंद भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम
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