भोळियौ आज ई
कुरस्यां री लैण हुवता थकां
जमीं पर बैठै
जिकौ बैठतौ रजवाड़ा रै साम्हीं
वौ आज ई कूटीजै
नूंवा गाभा पैरती बगत
वौ अबै ई खड़्यौ है उण ड्योढी
हुकम बजावण
आज ई उणरी लाडौ री किलकारी
उमर चढ़तां
चाणचकै अंधारै माथै
चिरळी बण मौन हुयज्या
जियां मिंदरां माथै देवदासी
वै कैवै सगळा ई आजाद हो
अरे, थे किकर नींद्यां मांय हो
आजादी सित्तर बरस री हुयगी
पण उणां नै कुण समझावै?
भोळियौ आज ई लाचार
वौ आजादी री पांखड़ी
जद-तद फड़फड़ाई
आपरै पुरखां रौ जैकारौ लगायौ
वौ जद-कद ई मनचायी करी
तद-तद मारीज्यौ, कूटीज्यौ बाळीज्यौ
जींवतौ ई बूरीज्यौ,
पण आज ई वौ ऊभौ है
उणीज ड्योढी
दासता री ड्योढी।