हू’र नचीतो
मत फैंक
अकूरड़ी पर
दिवलो
आवै दाबतो
उगतै सूरज रा खोज
फेर अंधेरो
आ नित री राड़
कोनी कर सकै कोई
आडी बाड़
जे चावै
भलो
थारी भोळी दीठ नै
अणभव स्यूं जोड़!