अणभव री पूंजोग

भेळी कर्यां

बगत रा बेटां साथै

हथाई करतोड़ो

डोकरो डील

हंकारो नीं करै...

पण,

मोदीलै मन रै

कियां-कियां

नादीदा नैण

देखै सुरंगा सुपना

जद चालणो पड़ै

जमानै री हाट माथै

कांई करै!

जायोड़ा री नी राखै

तो किणरी राखै?

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : राजू सारसर 'राज' ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham