अलख को लखबो

मामूली बात कोई नै...

कै लेखै

जाण'र अणजाण

होणो पड़ै छै!

उस्यां भी म्हाका

सास्तर क्है छै

ज्यो जपै ऊं सूं

जप-ना..!

ज्यो तपै ऊं सूं

तप-ना

ज्यो साधै ऊं सूं

साध-ना।

स्रोत
  • सिरजक : जितेन्द्र निर्मोही ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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