वे

जका सींच्या पसेव सूं

नी, नी.....

रगत सूं खेत

फसल वैयी

लेजावण खातर

आय भेळा वैग्या

अे

जका नी गोड्यौ, नी बोयो

अर

खावैला इणौं रा लाड़ला

पालतू जिनावर

भूसैला, दौड़ेला काटण नै

उणों रा

टाबरियों नै।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत काव्यांक, अंक - 4 जुलाई 1998 ,
  • सिरजक : जबरनाथ पुरोहित ,
  • संपादक : भगवतीलाल व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी
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