नारी
नर ने रोम रोम मय वसवा वारी नारी
केनीक हारी केनीक धोरवारी।
सणँ ना लीला सौड हरकी नारी
फूल करते फोरी भाटा करते भारी।
ऐनँ आँउअ मारा न् टुटतँ मौती
नर ऐने कारय जोइ सकतो ने रोती।
ऐनँ आँउअमय तणाइ ग्य राज कयँक भारी। केनीक....
ऐनी काया सन्दन नी नानी क्यारी
नर ना मन नी धरती करी सके ने न्यारी
टूटी ग्य कयंक हपनँ ऐने जेणे टारी । फूल....
ऐनो हणगार इन्दर नु आकु नन्दन वन,
नर नी आँक ना पँखेरू फरयँ करें छन-छन ।
नर ना रेते करी सक्यु आँक कोण कारी । केनीक....
जेम फोतरँ वना नी केरी हरकोय नै भावे,
तेम सेतरँ वना नी नारी ने कइया ने फावे।
नर! नके उघाड्य कर तू काम-भवन नी बारी । फूल....