कांई होयो
जे म्हूं हार ज्यांउ
हर बार मंजल रै नेड़ै जा'र
कांई होयो
जे मानखै रै खेत मांय
चालबो करै
परवाई
कदै तो फूटैलो
म्हारै बिस्वास रो बिरवो
तोपूं हूं जिको म्हूं
हेत रो आलिड़ो कर'र
कोई तो करैलो
म्हारै बीज री संभाळ
उरिज्यै है जिको
आस री ओकळी रेत मांय
कदै तो होवैली
प्रीत री बिरखा
कदै तो चालैली
अंतरियै री पून
थम'र परवाई
नींतर
क्यूं रैवै हार
ईं मुरधर री मोद मांय
प्रीत रा आळीया सजा'र
बै पवित्र चिड़कल्यां
जिकां रै अंतरियै रै रमझौळ मांय
रमण वास्तै
म्हैं धार्यो हो अेक इज सुपनो
अेक इज लकस्यै
थरप्यो जिकै रो नाम
'प्रीत री अबखायां में
नार क्यूं रुळै?
जे नार नैं जाणूं
तो ई मानखो सधै'।