दिनां रै फेर में
उणरै रात-रात जागवा में
अेक विसवास हौ
अेक आस ही
अेक चोखौ-सोरौ भविस हौ।
आज उणरी इण हालत में
घणौ दुख अर पीड़ है
क्यूंकै
उणरी आस-विसवास
उणरौ बेटौ
सैर री चमक-दमक देख’र
व्हेग्यौ उणसूं अळगौ।
जीवण तौ यूं ई बीत जावैला
पण, कोई आस क्यूं टूटी?
दुआ करूं
मिंदर-म्हैल टूटै भलै
प्रभु!
विसवास को य रौ नीं टूटै।