नोटां रो तो सगळा पूछै, बता लगावै कद है।

माँ पूछै बेटा अबकै तू, पाछो आवै कद है

रख लेवे सैंग मन री मन में, जिणस्यूं घर ना टूटे,

माँ बेटां नें बहुआं री हर, बात बतावै कद है

हँस ले ऊपर स्यूं ही हरदम, भीतर री कुण जाणै,

परदो माँ घर के भेदां स्यूं, बता उठावै कद है

बा सगळो जाणै दुख पासी, बेटो जा परदेसां,

हाँसे झूठी नैणा आंसू, माँ ढळकावै कद है

घर का अटक्या काम सुधारे, बा इक झटकै मांया,

पण बहुवां सासू माँ नै अब, बतलावै ही कद है

हाल दबी आवाजां सुण-सुण, समझ जाय बेटे रो,

रो लेवै छुप माँ खूणे में, दर्‌द जतावै कद है

लाख दुआ दे देवै माँ बस, दो रिपियां रै बदळे,

पण लालो बातां करबा नें, फोन मिलावै कद है

चरणा में माँ कै सब तीरथ, होवै है तू जाण हरी,

जग में हांडे माँ कै पावां, सीस झुकावै कद है

स्रोत
  • पोथी : साहित्य बीकानेर ,
  • सिरजक : हरिराम गोपालपुरा ,
  • संपादक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : महाप्राण प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम