खेत रूखाळतै-रूखाळतै

अड़ूवै रा गाबा

होग्या अेकदम लीरो-लीर

कणक री बीजांत पछै

बाबै आप रो कुड़तो खोल'र

अड़ूवै नै पैरा दियो

बाबै रो परेम देख’र

अड़ूवो अेकर फैर

होग्यो राजी

खेत रूखाळण सारू!

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 6 ,
  • सिरजक : हरीश हैरी ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’
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