मर्योड़ा डांगरां रो चामड़ौ

गंडकड़ां अर गिरजड़ां रै

बिचाळै सूं काढ’र

चामड़ै रो सोधन अर

पगरखी बणावण रो कारज

करतो रैयो बो,

बणावतो रैयो बरसां सूं

कूवै री लाव-चड़स

घी री कुप्पी अर

मिनख रो कमर-पेटो।

उणरी लुगाई

गांव रै टाबरां रो

जलमतां बगत काटै है नाळो

दाई बण’र

मोट्यार सींवै जूता फाट्योड़ा

जुगां सूं

उणां रो उणियारो

आज भी करै सवाल

सभ्य समाज सूं

कै म्हे क्यूं हां

अछूत ओज्यूं तांई!

स्रोत
  • पोथी : कीं तो बोल ,
  • सिरजक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राष्ट्र भाषा प्रचार समिति श्री डूंगरगढ़