हीयौ फाड़ देवणै वाळौ हौ थारौ मूंन

पण थन्नै कीं ओळमौ नीं

घणौ डरावू हुवता थकां वो कदै

बचा लेवतौ हौ म्हनै

अर कदै खुद थन्नै

थारा सबद इणसूं

बेसी मार करणै वाळा हा

पण सबदां रौ कांई है

आखड़ ज्यावै जुबान

किणी खतावळी मांय

कै किणी बहाव मांय

साच बूझै तो इण मूंन

अर बोलणै सूं बेसी अचंभै में हूं

थारै हीयै उण ठौड़ नै देखनै

जठै सूं जलमै कदै अणदेखी

अर कदै घिरणा सूं भर्या

अै सबद म्हां सारू

साचांणी अचंभौ है

कै सो-कीं थारै भीतर राखता थकां

थूं कदै म्हासूं प्रेम कीन्हौ हौ रिंकी टेलर!

स्रोत
  • पोथी : रिंकी टेलर ,
  • सिरजक : कुमार अजय ,
  • प्रकाशक : एकता प्रकाशन