अधबीच खोली

खीली

खीळकाई

नाजोगो खेमारो।

लाव

चड़स

पड़ग्या बेरा में

हकबकायग्यो

सिंचारो।

रीता रैयग्या

कोटा अर

खेळ्यां कोई

आडो नीं आयो

अबकी बेळां।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : कालू खां ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी संस्कृति पीठ राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, श्रीडूंगरगढ़
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