लखदाद है!
लोग बोल जावै
साव धोळो कूड़
घणै आतमविस्वास साथै।
अबै बतावो
कूड़ पर करां झाळ
का सरावां उणां रै
आतमविस्वास नैं?
स्रोत
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पोथी : मंडाण
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सिरजक : राजूराम बिजारणिया
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संपादक : नीरज दइया
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प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी
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- संस्करण : प्रथम संस्करण