जद
ऊं छोटो छो
देख्या करतो छो
पंछियां को उड़बो
आकास में सुतंत्र
तद
वो भी चावै छो
उड़बो
हवा सूं बातां करबो
उन्मुक्त
पण
अब ऊं जाणग्यो छै
कल्पना का आस्मान
अर
सचाई की जमीन को
अंतर
प्रत्यक्ष
जीवण जमीन छै
अर मनख्या की आसा
आसमान
अणंत
अब ऊं होग्यो छै मोट्यार।