ए हैंडो!
नंगारं, तण तारीयो ढोल नै शंख वगड़ावं
हुता नै ज़ागतौ, ज़ागता ने बैटो
बैटा नै उबौ करी घेरै घेरै अलख ज़गावं
हाद पाड़ी नै गाम भेगू करावं
पसे 'भोलए शम्बू भोलेनाथ जल बरसादे दीनानाथ'
एम कैता ज़ई नै ‘महादेव' ने विपरावं
एणा डोकरा ने पूसं त'खरा-
केम दुखी थई गई भारत नी जनता
त्राहि-त्राहि करी उट्य हैं लोग
हाहाकार मसी ग्यौ शारें आड़ी कार ना नाम नो
केक त पाणी एटलू के मनकं नै सौपं तणाई ग्यं
नै केक पाणी वगर थई ग्य तावणं
आटलाकु अन्दारु!
बोल!
ताणुवो के सप्पनवो हूं धार्यू?
खोली नाक तीज़ू नेत्र तारु।
ए हामरो!
जेठ ग्यो, अषाढ़ आयवो नै श्रावण आवयै
कइया मनैं हमाइय्यू थाए ! -
ज़मीं माता तपी गई
पैर्यू बीज़ हुकाई ग्यू मएं नूं मएं
बीज़ू त ठीक पण शारे आड़ी हुकू स हुकू ज़ोई
मारा मन नी श्याई हुकाब्बा करै है
कोरा कागद मातै आ कलम अवे टप टप आंउअं पाड़ये
पसे को नकै-
केम नती लखतो आज़काल श्रावणियां झूला ?
ए खबर पड़े के!
हाँज़ पड़ी गई, थई ग्यो दीवा बत्ती नों टेम
रुकमो, लकमो नै ललियो रेतीलं घरं बणावी
ढगलिए पासी वकेरी ने हवणं स आपड़े आपड़े घेरे पूग्या हैं
मारी वस्ती नां नाना नाना बालुड़ा
आवरे वरषात, आवरे वरषात कई कई ने थाक्या
गोवार ने भरोशे सोड्यं लाटं
भूखं नै तयं भटकी भटकावी ने घेरे पासं आवी ग्य हैं
मारा मन मएं उंडो पड़्यो विशार
पोर ना दाड़ा जेम तेम काड़्या उण हरते थाए
जो मैं झीकणो मैंबाबो
त उनी उनी रोटली नै कारेलं नं शाक हरते खवाए!