हूं चौखट में

तसबीर री दाई

काल सूं बंध्यौ

घुटन रौ बोझ लाद्यां

जड़ दियोग्यौ हूँ

कीलां री ज्यांन विषमतावां

कठोरता सूं

निरदयी हाथां

ठोक दी गी है

मुगति रै सारु हाहाकार करतौ

म्हारौ माणस

कुंठित है

विसगतियाँ अर वितृष्णावां भायली बण

म्हारा अन्तस में

बैठरी है

अर, हूँ चित्राम री दाईं

सब सह रेयौ हूं

म्हारां सूं बारै सैंग औझल

कोरौ अन्धारौ

जठै आस रौ दीवड़लौ

सदियां सूं खोज रेयौ हूं

स्रोत
  • पोथी : मिनख ,
  • सिरजक : विनोद सोमानी 'हंस' ,
  • प्रकाशक : विद्या प्रकाशन ,
  • संस्करण : 1