आंख्यां खोलो रै थे सूतोड़ा ओ, अब तो बोलो रै!
आंख्यां खोलो रै॥
बिना फूस को टापरो यो थांको, आंख्यां खोलो रै!
पड़बा नै यो, पड़बा नै यो त्यार, ईं कै लागी कोनी गार।
निकळ्या सारा बार—तिंवार, आंख्यां खोलो रै॥
आये दिन बांधेड़ो कतरो सोचो, आंख्यां खोलो रै!
बांथेड़ा की, बांथेड़ी की लार, थानै मिलै कसीक खुराक,
थां की जबरी या पोसाक, आंख्यां खोलो रै॥
अपणा घर में कतरो धन छै, देखो आंख्यां खोलो रै!
देणो कतरो, लेणो कतरो मेल, थे तो दोन्यां को मिलार,
देखो स्याब—तिस्याब फळार, आंख्यां खोलो रै॥
अपणां घर को हेरो करल्यो, बींकां आंख्यां खोलो रै!
लागत कतरी, लागत कतरी, और थांकै पैदा कतरी होय,
थे तो देखो सारी सोय, आंख्यां खोलो रै॥
बिना पढ्योड़ा टाबर मूरख डोलै, आंख्यां खोलो रै!
बिना दुवाई, बिना दुवाई मौत, देखो ठाडी थां के द्वार,
या तो बिना बुलाई त्यार, आंख्यां खोलो रै॥
थां सूं सब की पेट भराई हो छै, आंख्यां खोलो रै!
सब सूं निमळा, सबसूं निमळा फेर, थे ही दीख्या च्यारूं मेर,
मांची कैसी घोर अंधेर, आंख्यां खोलो रै॥
यां बातां को कांई कारण, सोचो आंख्यां खोलो रै!
चावो तो थे, चावो तो थे पार, थां को हो ज्यावै निस्तार,
थांका होवै बेड़ा पार, आंख्यां खोलो रै॥