आँक में उतरी आवीं अरू—
आँक थकी पड़ता अरू नं
नै गणंए टपकं
केमके
आँक त मईशागर है
मैं मईशागर मैं हेरतै गणएं टपकं।
अेट्लू त खरू है के
आँक नैं मईशागर
बै बणाव्य दैवताए
नैं देवताए स भरयू
मईशागर नूँ पाणी,
पण केणै भरयू
आँक मे पाणी!
जाणूं हूँ जाणू
गणं कोतुक करें
मारे आए-पाए वारास
मारी आँक में पाणी भरवा।
मूँ त बस जोवू नै पीयूँ
मईशागर नें पाणी
आँक न पाणीं।