आं दिनां

मनै सै रा सै उणियारा

एकसा'इ दीसै।

कदै कदै तो

धोखो खा जाऊँ

अबार'इ तो मिल्या हा

अर करी ही औरी औ'इ बातां।

पण नीं

पै'ली तो कोई और ही हो

के ठाह ओई हो?

बां दिनां भी, ओई'ज हौवंतो हो

हरेक चैरे मांय

कीं कीं हुवैंतो, थांरो

कदै नाक, कदै आखं

कदै होट तो कदै बाळ।

जे कीं नी हुवैंतो

तो भी म्हैं देख'ई लिया करतो

कदै कपड़ा, कदै कान।

स्रोत
  • सिरजक : कृष्ण बृहस्पति ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी