आखो गांव जद
राजियो भांभी बण जावै
तद उण री छाती पर
धरी जावै स्हैर री नींव
राजियो बणनो या बणावणो
दोनूं संभव है इण बखत
कान काट्या कूवा भरीजे
इता है दोनूं भांत रा लोग
म्हूं राजियो नीं बणनो चाहूं
बणावण आळां सामी भी
नीं नाड़ झुकाऊं
स्हैरां मांय देखी है
मरेड़ी मिनखियत
बस गांव नै स्हैर होण सूं
बचावणो चाहूं
लड़ूगा, जिऊंगा तद तांई
हरेक गळत नीतियां सामी
बोलूगां अन्याव रै साम्ही
क्यूंकै मैसूस्यो है म्है
कै
स्हैर कदी गांव नी होय सकै
गांव रो स्हैर हो जाणो
गांव रो मरणो है
गांव रो मरणो ही है