आजादी खिलोणाे नीं है

के उण सूं

जिण तरै मन करै

खेल लियौ जावै

अर जद खेलतां-खेलतां

मन धाप जावै तौ

उणनै तोड़-भांग’र

नाळी में फैंक दियौ जावै।

आजादी वौ

अमरफळ भी नीं है

के उणनै चाखणौ

केई लोगां सारू जरूरी

तौ केई लोगां सारू

गैर-जरूरी करार दे दियौ जावै।

आजादी रौ अरथ

भूख, गरीबी, बेरोजगारी

अर मांदगी नीं है

आजादी रौ अरथ

आफरौ, दो नंबरी धन

हेराफेरी अर 'ब्लयू फिल्म' भी नीं है

के मोटै परदां री ओट

उणरौ स्वाद लियौ जावै।

आजादी लोकतंत्र रै

दरवाजै लागी 'कॉलबैल' नीं है के

जद जिणरौ मन करै

इणरौ बटण दब देवै

अर थाकेलौ उतारतै देस री

काची नींद उड़ा देवै।

आजादी हियै रौ खेल

आजादी समरपण री गैल

आजादी बिना ताकड़ी

तोलण-तुलण रौ रिवाज

आजादी रगत सूं रेलमपेल

इस्यौ गीत

जिणनै गावणौ घणौ दोरौ

अर बिना गायां रह जावणौ भी

कठै है सोरौ।

आजादी वा भळभळाट करती लपट

जिणनै धार्‌यां बिना नीं सरै

आजादी वौ बैण

जिणनै उचार्‌यां बिना

प्राण देही सूं नीं नीसरै।

स्रोत
  • पोथी : जातरा अर पड़ाव ,
  • सिरजक : भगवती लाल व्यास ,
  • संपादक : नंद भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम