पुसप हुवै
जद नीं सोचै
क कांई हुवैला
सुहागण रो गजरो
देवतावां री माळा
गुलकंद क सरबत
क
अरथी रो सिणगार
पण मिनख
अेक पावंडौ मेलण सूं पैली
जाणनौ चावै
कांई हुवैला आगे...