आगणे रोप्यू रूक्डूँ मनक थई ग्यू।
ताजी हवा, साइलो नती आलतू,
जनोरँ नो कलख नती गमतो एटले,
थई ग्यू मनक परते एकलवोड़।
दड़बा माते पेला में (मेह) नुं पाणी पड़े
तो नती आवती पुंबर
स्वाति नक्षत्र नो सांटो हवे हाप नै
मुड़ा में पड़ी बणी जाए जेर
कागला ने खबर पड़ी गई है के
कोयल न एण्डँ मारे गोकला में पाकें
तो कोयल करी रई है सांठ-गांठ
पण विगार करी-करी नै थाक्यो के
मारे झापा में कुतरू नै बलाड़ी
पाय-पाय हुतँ हैं
कुतरू-बलाड़ी नुं वैर 'वारी केवत
खोटी थावी मांडी है नै,
आणा मनक नै जुइ नै
कुतरू नै बलाड़ी
दाँत काड़े हैं नै
जई वेरा एणन सुर लड़ाएँ
ऐणी वेरा केएँ
हूँ मनक परते लड़्या करो
कईक वेरा तो कुतर परते रो...।