टाटी कै घर नै फेरतां के बार लागै?

अर्थ - छप्पर के घर के द्वार को घुमाने में क्या देर लगाती है?

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी कहावतें ,
  • संपादक : कन्हैयालाल सहल ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य संस्थान ,
  • संस्करण : द्वितीय संस्करण