झूठै की के पिछाण,

कै बो सोगन खाय।

अर्थ - झूठे की क्या पहिचान? उत्तर, वह सौगन्ध खाता है।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी कहावतें ,
  • संपादक : कन्हैयालाल सहल ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य संस्थान ,
  • संस्करण : द्वितीय संस्करण