झूठ बिना झगड़ो नहीं,
धूळ बिना धड़ो नहीं।
अर्थ - दोनों ही अगर सच्चे हों तो झगड़ा किसी बात का? दो में एक झूठा होता है, तभी झगड़ा होता है। तराजू में तोलने के लिए जो धड़ा करते हैं, उसमें रेत से धड़ा करने में सब से ठीक रहता है।