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साइट: परिचय
संस्थापक: परिचय
अंजस सोशल मीडिया
झगड़ो अर भेंट बधावै जितणी ई बधै
लोक परंपरा
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झगड़ो
अर
भेंट
बधावै
जितणी
ई
बधै।
अर्थ
–
झगड़ा
और
भेंट
इन्हें
चाहे
जितना
बढ़ाया
जा
सकता
है।
स्रोत
पोथी
: राजस्थानी कहावतें
,
संपादक
: कन्हैयालाल सहल
,
प्रकाशक
: राजस्थानी साहित्य संस्थान
,
संस्करण
: द्वितीय संस्करण