डूंगरां नै छाया कोनी होय।

अर्थ - पर्वतों की छाया नहीं होती क्योंकि उनसे ऊंचा कोई नहीं होता। महापुरूषों को मदद करना साधारण आदमियों का काम नहीं, वे अपनी मदद स्वयं ही करते हैं, या ईश्वर उनकी मदद करता है।